Home Hindi Latest News एक क्लिक और उड़ गए 33,000 रुपये: साइबर ठगों ने कॉल कर बुना जाल, अगर बन गए हैं फ्रॉड के शिकार तो क्या करें, जानें

एक क्लिक और उड़ गए 33,000 रुपये: साइबर ठगों ने कॉल कर बुना जाल, अगर बन गए हैं फ्रॉड के शिकार तो क्या करें, जानें

एक क्लिक और उड़ गए 33,000 रुपये: साइबर ठगों ने कॉल कर बुना जाल, अगर बन गए हैं फ्रॉड के शिकार तो क्या करें, जानें

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आज के डिजिटल युग में साइबर ठगी एक बड़ा खतरा बन चुकी है, जो किसी के साथ भी हो सकती है. हाल ही में मेरे साथ ऐसा ही एक वाकया हुआ, जिसमें एक गलत लिंक पर क्लिक करने से मुझे 33,000 रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. मैं यह अनुभव इसलिए साझा कर रहा हूं ताकि आप इस तरह की घटनाओं से सतर्क रहें और इससे बच सकें.

कैसे हुई शुरुआत?

सब कुछ तब शुरू हुआ जब मुझे एक अनजान नंबर से एक मैसेज मिला. उसमें लिखा था कि अगर मैंने दिल्ली जल बोर्ड के मीटर को अपडेट नहीं कराया, तो मेरा पानी का कनेक्शन तुरंत बंद कर दिया जाएगा. मैसेज में एक व्यक्ति का नंबर भी था. जब मैंने उससे संपर्क किया, तो उसने मुझे एक लिंक भेजा और कहा कि मीटर अपडेट के लिए 10 रुपये का भुगतान करना होगा.

मैसेज नंबर 9744625512 से आया था और व्यक्ति का नंबर 7751077459 था, जिसने वह संदिग्ध लिंक भेजा था. जब मैंने क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से भुगतान करने की कोशिश की, तो वह सफल नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने सलाह दी कि मैं अपनी पत्नी और बेटी के कार्ड से भुगतान करूं, जिससे मुझे शक हुआ.

इसी बीच, मैंने यह देखने के लिए नेट बैंकिंग लॉगिन किया कि मेरा कार्ड इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन के लिए है या डोमेस्टिक के लिए. लेकिन जब तक मुझे अहसास हुआ कि यह एक साइबर फ्रॉड है, तब तक मेरे करंट अकाउंट से 50,000 रुपये सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर हो चुके थे. मैंने फौरन i-Mobile ऐप के जरिए डेबिट कार्ड ब्लॉक किया और सेविंग अकाउंट से ट्रांजेक्शन भी रोक दिए. मैंने मोबाइल से अपने क्रेडिट कार्ड भी ब्लॉक किए. मैं अपने सेविंग अकाउंट को बचाने में कामयाब रहा लेकिन क्रेडिट कार्ड के जरिए ठगी का शिकार हो गया क्योंकि तीन क्रेडिट कार्डों में से केवल दो को ही ब्लॉक किया जा सका था और एक ब्लॉक नहीं हो पाया था. इस मामले की शिकायत नोएडा पुलिस साइबर ब्रांच में दर्ज कराई गई है.

ठगों ने हैक कर लिया फोन

आज की डिजिटल पर निर्भर दुनिया में स्मार्टफोन हमारी पहचान और रोजमर्रा की गतिविधियों का हिस्सा बन चुके हैं. लेकिन जब ये जरूरी डिवाइस हैक हो जाते हैं, तो इसका असर सिर्फ असुविधाजनक नहीं, बल्कि बेहद खतरनाक हो सकता है. हाल ही में मेरे साथ हुई घटना इसी बात की एक गंभीर चेतावनी है कि डिजिटल युग में हम कितने असुरक्षित हो सकते हैं.

यह परेशानी तब शुरू हुई जब मुझे पता चला कि मेरे साथ 33,000 रुपये की धोखाधड़ी हो गई है. जो बात पहले एक मामूली घटना लगी, वह जल्द ही एक बुरे सपने में बदल गई. मुझे जानकारी ही नहीं थी कि मेरा स्मार्टफोन हैक हो चुका है और मेरे बैंक से आने वाले सभी SMS अलर्ट एक अनजान नंबर- 9744625512- पर अपने आप फॉरवर्ड हो रहे थे.

जो भी दोस्त मुझे कॉल करने की कोशिश करते, उन्हें सुनाई देता कि मेरा फोन बंद है. और जब मैंने खुद कॉल करने की कोशिश की, तो नंबर या तो गलत लग रहे थे या कनेक्ट ही नहीं होते थे. यह सब बहुत ही असामान्य और डरावना अनुभव था. यह घटना दिखाती है कि साइबर अपराधी कैसे न सिर्फ आपके पैसों, बल्कि आपकी पहचान और कम्युनिकेशन करने की क्षमता पर भी कब्जा कर लेते हैं.

कैसे काम करते हैं साइबर अपराधी?

मैंने देश के प्रमुख साइबर विशेषज्ञ अमित दुबे से संपर्क किया. उन्होंने सलाह दी कि तुरंत मोबाइल से SIM कार्ड निकालें और फोन को पूरी तरह से फॉर्मेट करें. साथ ही बैंक को ईमेल भेजकर अपने खातों को सुरक्षित करने को कहा. आज के साइबर अपराधी तकनीक और मनोविज्ञान दोनों की गहरी समझ रखते हैं. वे पहले इंटरनेट, सोशल मीडिया और डार्क वेब से संभावित शिकार की जानकारी इकट्ठा करते हैं- जैसे बैंकिंग डिटेल्स, पासवर्ड आदि. फिर नकली कॉल्स और मैसेजेस के ज़रिए डर पैदा कर लोगों को अपनी जानकारी देने के लिए मजबूर करते हैं.

मनोवैज्ञानिक दबाव की ताकत को समझते हुए साइबर अपराधी अपनी तरकीबों को इस तरह बनाते हैं कि वे पीड़ितों को दबाव में लाकर उनकी बात मानने पर मजबूर कर सकें. अक्सर ये अपराधी फिशिंग ईमेल या फर्जी फोन कॉल का सहारा लेते हैं और खुद को बैंकों या सरकारी एजेंसियों जैसा विश्वसनीय संस्थान बताकर सामने आते हैं. वे डर या जल्दी निर्णय लेने का भाव पैदा करते हैं- जैसे कि खाते को बंद करने की धमकी या कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर- और इस तरह लोगों से उनकी गोपनीय जानकारी (जैसे पासवर्ड, ओटीपी) हासिल कर लेते हैं.

इसके अलावा, ये साइबर अपराधी लगातार अपनी तकनीकों को अपडेट करते रहते हैं. वे न सिर्फ नई तकनीकों और सुरक्षा उपायों से वाकिफ रहते हैं, बल्कि सोशल इंजीनियरिंग जैसी तरकीबों को अपनाकर और अधिक विश्वसनीय और परिष्कृत तरीके विकसित करते हैं ताकि सुरक्षा तंत्र को चकमा दे सकें. इनकी कार्यप्रणाली यह दिखाती है कि इनका अपराध कोई संयोग नहीं बल्कि पूरी तरह से सोची-समझी साजिश के तहत किया जाता है.

साइबर ठगी से बचने के लिए क्या करें?

डिजिटल युग में साइबर फ्रॉड एक तेजी से बढ़ता खतरा बन गया है, जिससे निपटने के लिए दुनियाभर की कानून व्यवस्था एजेंसियां लगातार प्रयास कर रही हैं. पुलिस नागरिकों को साइबर अपराध से बचाने में अहम भूमिका निभाती है. नोएडा के थाना सेक्टर-20 की साइबर सुरक्षा सेल के इंचार्ज हेमेंद्र कुमार बलियान के अनुसार, साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए ये महत्वपूर्ण सावधानियां अपनानी चाहिए:

1. संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें- किसी भी अनजान या अनवैरिफाइड सोर्स से आए लिंक या अटैचमेंट्स पर क्लिक न करें या उन्हें डाउनलोड न करें.

2. डिजिटल वेडिंग इनविटेशन से सावधान- हाल के मामलों में देखा गया है कि अज्ञात नंबरों से आने वाले डिजिटल शादी के निमंत्रण भी साइबर फ्रॉड का जरिया बन रहे हैं, इन पर क्लिक न करें.

3. स्रोत की पुष्टि करें- किसी भी लिंक पर क्लिक करने या अटैचमेंट डाउनलोड करने से पहले, ईमेल और मैसेज की प्रामाणिकता की जांच ज़रूर करें.

4. संवेदनशील जानकारी साझा करने में सतर्क रहें- पासवर्ड और ओटीपी जैसी गोपनीय जानकारी किसी से भी साझा न करें, चाहे सामने वाला कितना भी भरोसेमंद क्यों न लगे.

5. पुलिस द्वारा कोई डिजिटल अरेस्ट नहीं होती- अगर कोई डिजिटल अरेस्ट की बात कहे तो जान लें कि यह फ्रॉड है.

6. डिजिटल ब्लैकमेल से डरें नहीं- अगर कोई आपको ब्लैकमेल कर रहा है तो घबराएं नहीं, तुरंत पुलिस को सूचना दें.

7. अनजान नंबरों को अनदेखा करें- जिन मैसेज में इनाम मिलने या तत्काल कार्रवाई की बात हो और जो अज्ञात नंबरों से आए हों, उनसे सावधान रहें.

8. समय बहुत अहम है- साइबर फ्रॉड की घटनाओं में देरी से की गई पुलिस शिकायत से सबूत मिट सकते हैं और नुकसान बढ़ सकता है.

9. अपने खाते की गतिविधि पर नजर रखें- अपने बैंक स्टेटमेंट्स और ऑनलाइन ट्रांजेक्शनों की नियमित जांच करें ताकि किसी भी गड़बड़ी को समय रहते पकड़ा जा सके.

10. खुद को और दूसरों को जागरूक करें- नए साइबर फ्रॉड तरीकों की जानकारी रखें और इसे अपने परिवार व दोस्तों के साथ साझा करें.

पुलिस क्या सलाह देती है?

नोएडा के थाना सेक्टर-20 की साइबर सुरक्षा सेल के प्रभारी हेमेंद्र कुमार बलियान के अनुसार, आज के डिजिटल युग में जहां फोटो और निजी जानकारी को ऑनलाइन साझा करना एक आम बात हो गई है, वहीं इससे जुड़े खतरों में भी भारी इज़ाफा हुआ है. एक चिंताजनक ट्रेंड उभर कर सामने आया है, जिसमें साइबर अपराधी डिजिटल तस्वीरों का दुरुपयोग कर ब्लैकमेल और उगाही जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं. यह चलन तेजी से बढ़ रहा है, जहां अपराधी अत्यधिक चालाक और खतरनाक तरीकों का इस्तेमाल कर तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ करते हैं और साइबर फ्रॉड को अंजाम देते हैं.

हेमेंद्र कुमार बलियान बताते हैं कि इनमें सबसे डरावना तरीका यह है कि अपराधी एडवांस्ड फोटो एडिटिंग टूल्स का इस्तेमाल कर बहुत ही असली जैसे दिखने वाले लेकिन फर्जी न्यूड (अश्लील) फोटो तैयार कर लेते हैं. वे सोशल मीडिया से या इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक तस्वीरों को लेकर उन्हें इस तरह से एडिट करते हैं कि वे आपत्तिजनक लगने लगें. इसके बाद इन फर्जी तस्वीरों का इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता है- पीड़ितों को धमकी दी जाती है कि अगर उन्होंने पैसे नहीं दिए, तो इन तस्वीरों को सार्वजनिक कर दिया जाएगा, जिससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचे.

इसके अलावा Telegram जैसे प्लेटफॉर्म भी ऐसे अपराधों के अड्डे बनते जा रहे हैं. इन पर अश्लील चैट और धोखाधड़ी वाले गेम्स के जरिए भोलेभाले यूजर्स को फंसाया जाता है. उन्हें अपनी निजी जानकारी साझा करने के लिए उकसाया जाता है, जिसका बाद में दुरुपयोग होता है. ये अपराधी इन प्लेटफॉर्म्स की गुमनाम पहचान का फायदा उठाकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं, जिससे पुलिस और कानून-व्यवस्था के लिए उन्हें पकड़ना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

ट्रांजेक्शन करते समय रहें सतर्क

आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन लेन-देन और संचार की सुविधा के साथ-साथ साइबर धोखाधड़ी का खतरा भी तेजी से बढ़ा है. ऐसे में खुद को साइबर अपराधों से बचाने के लिए सतर्कता और त्वरित कार्रवाई बेहद जरूरी है. साइबर अपराधी अब बेहद चालाक और तकनीकी रूप से दक्ष हो चुके हैं, जो मासूम लोगों को धोखा देने के लिए लगातार नई तरकीबें अपनाते हैं. ऐसे में खुद की सुरक्षा कैसे की जाए, यह जानना बेहद आवश्यक हो गया है.

ऑनलाइन कोई भी जानकारी साझा करने से पहले सावधानी बरतें. फिशिंग मेल्स या ऐसे मैसेज जिनमें आपकी पर्सनल डिटेल मांगी जा रही हो, उनसे बचें. मजबूत और यूनिक पासवर्ड का इस्तेमाल करें और जहां संभव हो, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ज़रूर चालू करें. अपने मोबाइल, ऐप्स और सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखें। इससे सुरक्षा खामियों को दूर किया जा सकता है जिन्हें साइबर अपराधी आसानी से निशाना बनाते हैं.

अगर बन गए हैं शिकार तो क्या करें?

अगर तमाम सावधानियों के बावजूद आप किसी साइबर फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं, तो बिना देर किए तुरंत एक्शन लें. सबसे पहले साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें. यह सेवा पीड़ितों की मदद के लिए विशेष रूप से बनाई गई है, जो तुरंत सही सलाह और समर्थन देती है.

आप https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. जितनी जल्दी आप अपराध की रिपोर्ट करेंगे, उतनी ही ज्यादा संभावना है कि आपके पैसे वापस मिलें और आगे की धोखाधड़ी रोकी जा सके. अपने बैंक या वित्तीय संस्थान को तुरंत सूचित करें ताकि वे आपके खाते पर निगरानी रख सकें और संदिग्ध गतिविधियों को रोक सकें. इसके अलावा, अपने क्रेडिट रिपोर्ट की निगरानी करते रहें ताकि चोरी जैसी घटनाओं से बचा जा सके.

हालांकि डिजिटल दुनिया में कई तरह के खतरे मौजूद हैं, लेकिन यदि हम सतर्क, जागरूक और पहले से तैयार रहें, तो साइबर फ्रॉड का शिकार होने की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है. ऑनलाइन सतर्कता बरतकर और किसी भी साइबर हमले के बाद उठाए जाने वाले जरूरी कदमों की जानकारी रखकर, व्यक्ति अपनी डिजिटल पहचान और निजी जानकारी को साइबर अपराधियों से बेहतर तरीके से सुरक्षित रख सकते हैं.

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