घर बैठे लाखों की कमाई कर रही ये Housewife! इस छोटे से बिजनेस ने बदल दी जिंदगी

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Success Story: तमिलनाडु के दीपा और रवि कुमार ने महिला संघ से ऋण लेकर छोटे कुटीर उद्योग की शुरुआत की. आज वे लाखों कमाते हैं और अपने उत्पादों को ग्रामीण क्षेत्रों में बेचते हैं, जिससे उनकी मेहनत और सफलता की मिसाल…और पढ़ें

तमिलनाडु के दीपा और रवि कुमार छोटे उद्योग से लाखों की कमाई कर रहे.

तमिलनाडु के दीपा और रवि कुमार का सफर प्रेरणादायक है. यह दंपति पिछले 30 सालों से निजामाबाद जिले के रुद्रुर मंडल में रहकर एक छोटे से उद्योग को चला रहे हैं. उनका उद्योग, जिसमें वे विभिन्न प्रकार के स्नैक्स जैसे मुरुक्कु, बोंगकु, सफेद मुरुक्कु, पुतनालु, कारा और बोंडी बनाते हैं, स्थानीय किराने की दुकानों में बेचे जाते हैं. इस छोटे से उद्योग से वे लाखों रुपये कमा रहे हैं और आज उनकी कहानी एक मिसाल बन गई है.

ऐसे शुरू किया था बिजनेस
दीपा की सफलता के पीछे महिला संघ से लिया गया ऋण है. शुरुआत में उन्हें महिला समूह में शामिल होने में कठिनाई का सामना करना पड़ा, लेकिन दीपा ने हार नहीं मानी. उन्होंने ड्वाकरा ग्रुप से 2003 में दस हजार रुपये का ऋण लिया और धीरे-धीरे अपने व्यवसाय को बढ़ाया. इस तरह से उन्होंने छोटे कुटीर उद्योग शुरू किए और अब उनका मासिक कारोबार लाखों रुपये तक पहुंच चुका है.

उधारी और मशीनरी की खरीद
इस सफलता में एक और महत्वपूर्ण कदम था, मशीनरी और पैकिंग मशीनों की खरीदारी. दीपा और रवि कुमार ने आवश्यक मशीनरी, आटा मिलाने वाली मशीन और पैकिंग मशीनें खरीदने के लिए ऋण लिया. इसके बाद उन्होंने काम को और भी व्यवस्थित तरीके से करना शुरू किया. आज उनकी कंपनी में बड़े पैमाने पर भोजन तैयार होता है, और वे तीन महीने तक ताजे उत्पाद की गारंटी देते हैं.

ग्रामीण इलाकों में वैन सेवा
दीपा और रवि कुमार ने अपने उत्पाद को पास के गांवों के किराने की दुकानों तक पहुंचाने के लिए एक वैन भी खरीदी है. यह वैन उन्हें अपने उत्पादों को अधिक ग्राहकों तक पहुंचाने में मदद करती है. दीपा कहती हैं, “हमें हर महीने 80 से 1 लाख रुपये की आमदनी हो जाती है.” हालांकि, इस यात्रा में उन्होंने कई वित्तीय समस्याओं का सामना भी किया, जैसे कि बकाया राशि का भुगतान, लेकिन वे कभी हार नहीं मानते.

श्रीनिधि समूह से मिले 10 लाख रुपये का लोन
दीपा और रवि कुमार की मेहनत को देखते हुए श्रीनिधि समूह ने उन्हें 10 लाख रुपये का ऋण दिया. रवि कुमार का कहना है, “श्रीनिधि और ड्वाकरा ग्रुप ने हमें जो ऋण दिया, उससे हमारे व्यवसाय को बहुत मदद मिली.” वे इस ऋण को चुकाने के बाद अपनी बेटी को एमबीए की पढ़ाई के लिए भेजने में भी सफल हुए. आज उनकी बेटी भी कामकाजी है, जो उनकी मेहनत का फल है.

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