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मिलिए उस आदमी से जिसके पिता की पूजा होती है, दावा करता है कि कोहिनूर उसके परिवार का था, उसका नाम है…

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मिलिए उस आदमी से जिसके पिता की पूजा होती है, दावा करता है कि कोहिनूर उसके परिवार का था, उसका नाम है…

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Agency:News18Hindi

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कमलचंद भंजदेव की 20 फरवरी को शादी हुई है और वो बस्तर राजपरिवार के युवराज हैं. कमलचंद भंजदेव का दावा है क‍ि कोह‍िनूर हीरा उनके पर‍िवार का था.

मिलिए उस आदमी से जो दावा करता है 'कोहिनूर' उसके परिवार का था, उसका नाम है...

जान‍िये कौन है कमलचंद भंजदेव, ज‍िसका दावा है क‍ि कोह‍िनूर उसके पर‍िवार का है.

हाइलाइट्स

  • कमलचंद भंजदेव बस्तर राजपरिवार के युवराज हैं.
  • कमलचंद का दावा है कि कोहिनूर उनके परिवार का था.
  • बस्तर पैलेस में 100 वर्षों बाद पहली शाही शादी हुई.

नई द‍िल्‍ली. बस्तर पैलेस ऐतिहासिक और यादगार शाही शादी का गवाह बन गया है. बस्तर राजघराने के युवराज कमलचंद भंजदेव (Kamalchand Bhanjdev) ने मध्य प्रदेश के नागोद राजघराने के महाराज शिवेंद्र प्रताप सिंह की बेटी कुमारी भुवनेश्वरी से 20 फरवरी को शादी की. ये शादी इसल‍िए खास है क्‍योंक‍ि साल 1890 में इस भव्‍य पैलेस के निर्माण के बाद से 100 वर्षों में बस्तर पैलेस में पहली शाही शादी है. कमलचंद भंजदेव बस्तर राजघराने के वर्तमान युवराज हैं. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की और लंदन में इंटरनेशनल बिजनेस की पढ़ाई भी की.

साल 2010 में भारत लौटकर उन्होंने अपनी पैतृक विरासत की जिम्मेदारी संभाली. कमलचंद भंजदेव को बस्तर में काकतीय राजवंश का 23वां राजा माना जाता है. उनके पिता प्रवीरचंद्र भंजदेव को बस्तर का अंतिम राजा कहा जाता है और आज भी उन्हें राजा के रूप में सम्मान दिया जाता है. यहां के लोग आज भी उनकी पूजा करते हैं.

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कोह‍िनूर पर दावा
कमलचंद भंजदेव का दावा है क‍ि ब्रिटिश शाही ताज में जड़ा कोहिनूर हीरा काकतीय शासकों से गहरा संबंध रखता है. कमलचंद भंजदेव ने दावा किया कि कोहिनूर कभी काकतीय राजघराने का था और इसे या तो मंदिर के खजाने से या फिर शाही खजाने से चुराया गया था. उन्होंने कहा कि यह हीरा मूल रूप से तेलंगाना की गोलकुंडा खदानों से न‍िकाला गया था. उस समय तेलंगाना में वारंगल राज्य चालुक्य काकतीय राजवंश के शासन के अधीन था.

कमलचंद भंजदेव के अनुसार सन 1303 में जब काकतीय राजघराने और अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक काफूर के बीच लड़ाई हुई थी, तब इस लड़ाई के दौरान कोहिनूर हीरा लूट लिया गया और बाद में मुस्लिम शासकों के कब्जे में आ गया. और आखिरकार इसे ब्रिटिश क्राउन को सौंप दिया गया.

बता दें क‍ि बस्तर राजघराने में आखिरी शाही शादी साल 1918 में रुद्र प्रताप देव की दूसरी शादी के दौरान हुई थी. उनकी पहली शादी 1908 में कुसुमलता से हुई थी, लेकिन उनके निधन के बाद महाराज रुद्र प्रताप देव ने चंद्रादेवी से शादी की. हालांकि, उनकी शादी के ठीक दो साल बाद यानी 1921 में रुद्र प्रताप देव का भी निधन हो गया. तब से लेकर अब तक राजघराने के किसी भी सदस्य की शादी बस्तर पैलेस में नहीं हुई है. इसके बाद की सभी शादियां अलग-अलग राज्यों में हुईं.

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मिलिए उस आदमी से जो दावा करता है ‘कोहिनूर’ उसके परिवार का था, उसका नाम है…

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