उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आजकल कुछ भी बोलते हैं तो उसे पूरा देश सुन रहा होता है. फिलहाल अब वो भी हमेशा चुनावी मोड में ही नजर आ रहे हैं. यूपी में अभी कोई चुनाव नहीं हैं पर उनके भाषण में चुनावी बोल बरकरार हैं. भले ही मंच कोई राजनीतिक न हो पर भाषण तो राजनीतिक ही हो जा रहा है. अयोध्या में रामायण मेले में बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर कुछ ऐसा कहा है कि पूरा देश उसके मायने ढूंढ रहा है. उन्होंने कहा कि 500 साल पहले बाबर ने जो अयोध्या में किया, बांग्लादेश और संभल में आज वही हो रहा है. तीनों की प्रकृति, तीनों के DNA एक जैसे हैं.
जाहिर है कि न मौका राजनीतिक है आजकल और न ही मंच राजनीतिक था पर योगी ने जो कहा वो पूर्णतया राजनीतिक हो गया. जिस तरह योगी ने आगरा में एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम में बांग्लादेश का संदर्भ लेकर बंटोगे तो कटोगे का नारा दिया था और बाद में यह नारा विधानसभा चुनावों की विजय स्क्रिप्ट लिखने में सबसे मजबूत कड़ी साबित हुआ. उसी तरह एक बार योगी ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए फिर बांग्लादेश और संभल को अयोध्या की तरह ट्रीट करने की नसीहत देकर अपनी राजनीतिक मंशा स्पष्ट कर दी है. आइये समझते हैं कि आज के योगी के भाषण के सही मायने क्या हो सकते हैं?
बांग्लादेश और संभल के नाम पर झुकना नहीं
बांग्लादेश में जो हो रहा है वो किसी भी तरीके से ठीक नहीं है. पूरी दुनिया में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की निंदा हो रही है. अभी हाल ही में इस्कान के एक संत की गिरफ्तारी हुई उसे बांग्लादेश में एक वकील तक की सुविधा नहीं मिल पा रही है. एक वकील ने उनकी जमानत करानी चाही तो उसकी हत्या कर दी गई. हर दिन हिंदुओं की हत्याएं और रेप आदि की खबरें आ रही हैं. योगी इसको लेकर कितने गंभीर हैं इसे इस तरह देख सकते हैं कि वो हर मंच से इसकी चर्चा कर रहे हैं. चाहे राजनीतिक मंच हो या सांस्कृतिक, योगी बांग्लादेश में हो हिंदुओं के उत्पीड़न की बात जरूर कर रहे हैं. इसी तरह संभल में जामा मस्जिद के सर्वें को लेकर योगी का विजन स्पष्ट है. जिस तरह वो बता रहे हैं कि बांग्लादेश , संभल और अयोध्या में 500 साल पहले जो हुआ उसका डीएनए एक है , उनके कहने का मतलब स्पष्ट है. मतलब संभल में मस्जिद बनाने का काम ,अयोध्या में राममंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाने का काम और बांग्लादेश में उत्पीड़न का काम एक ही जैसे लोग कर रहे हैं. उनके कहने का मतलब सीधा है कि संभल में हो रहे मस्जिद सर्वे में प्रशासन किसी भी तरीके का रुकावट डालने वाला नहीं है.
योगी के इस बयान पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि मुख्यमंत्री कितना साइंस जानते हैं, कितनी बायलॉजी पढ़ी है, मैं उनसे एक बार निवेदन करना चाहता हूं कि बार-बार जो वे DNA की बात कर रहे हैं, DNA की बात न करें. अगर वे DNA की बात करते हैं तो मैं और हम सब लोग अपना DNA जांच कराना चाहते हैं और चाहते हैं कि मुख्यमंत्री भी अपना DNA जांच कराएं. मेरा निवेदन है कि मुख्यमंत्री को DNA की बात शोभा नहीं देती. एक संत, योगी होकर भगवा पहनने के बाद उन्हें इस तरह DNA की बात नहीं करनी चाहिए.
ध्रुवीकरण की पूरी तैयारी, राम- जानकी के प्रति जिनकी श्रद्धा नहीं उन्हें त्याग दीजिए
अयोध्या के राम कथा पार्क में रामायण मेले का उद्घाटन करते हुए सीएम योगी कहते हैं कि एक बार फिर अयोध्या आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से वैश्विक नगरी के रूप में नई पहचान लेकर आगे बढ़ रही है… याद कीजिए कैसे इसी साल जनवरी में पीएम नरेंद्र मोदी के कर कमलों से पांच सौ साल बाद भगवान राम दोबारा मंदिर में विराजमान हुए हैं… जिसके मन में भगवान राम और माता जानकी के प्रति श्रद्धा का भाव नहीं है, चाहे वे आपके कितने भी प्रिय क्यों न हों, उसे शत्रु की तरह त्याग देना चाहिए इसीलिए राम भक्तों ने 1990 में नारा दिया था ‘जो राम का नहीं हमारे किसी काम का नहीं’….. योगी के इस शब्द पर गौर करिए कि राम और जानकी के प्रति जिस किसी में श्रद्धा नहीं है , अगर वो आपका कितना भी प्रिय हो उसका साथ छोड़ दीजिए. मतलब सीधा है कि भविष्य में हिंदुओं के ध्रुवीकरण की प्रक्रिया रुकने वाली नहीं है.
धार्मिक एंगल, जो राम का नहीं वो किसी काम का नहीं
योगी आदित्यनाथ एक धार्मिक कार्यक्रम में बोल रहे थे इसलिए धार्मिक उपदेश के साथ जनता को मोबलाइज भी करने का मौका भी नहीं चूकना था.योगी कहते हैं कि 500 साल बाद प्रभु राम मंदिर में विराजमान हैं. आयोजन अयोध्या में था लेकिन उत्सव पूरे विश्व में. दुनिया की हर समस्या का समाधान अयोध्या है. ये राग, द्वेष से मुक्त है. जब तक आस्था है तब तक भारत का बाल बांका नहीं होगा. उन्होंने कहा कि आस्था रहेगी तो भारत बना रहेगा. सीएम योगी ने कहा कि हमने प्रभु श्री राम को अपना आदर्श माना है. अगर कुछ भी प्रेरणा हम प्रभु के उच्च आदर्शों से ले सकें तो हमारा जन्म और जीवन दोनों धन्य हो जाएगा. जो राम का नहीं वो हमारे किसी काम का नहीं है…
संभल जामा मस्जिद और सर्वे पर संघ और योगी
पिछले कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आशीर्वाद योगी आदित्यनाथ को मिला हुआ है. कई बार ऐसी खबरें भी आईं की आरएसएस नेताओं से योगी की गूढ़ मंत्रणा हुई. उत्तर प्रदेश के उपचुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका था. आरएसएस ने जिस तरह उपचुनावों में बीजेपी की जीत के लिए प्रयत्न किया है उसके पीछे कहीं न कहीं योगी और आरएसएस के बीच बेहतरीन केमिस्ट्री को ही बताया जा रहा था. पर जिस तरह संभल हिंसा को लेकर आरएसएस चुप्पी बरते हुए है उसे देखकर ऐसा लगता है कि संभल में जो भी हुआ उससे संघ इत्तेफाक नहीं रखता है. फिर अगर ऐसा है तो योगी आदित्यनाथ क्यों इस मुद्दे को खत्म नहीं कर रहे हैं. हालांकि इसका दूसरा पहलू भी है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार कहा था कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूढने की क्या जरूरत है. पर संघ जिस तरह समय समय पर अपने विचार बदलता रहा है उसे देखकर लगता है कि कहीं संघ संभल की जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर के सर्वे पर अपने विचार बदल तो नहीं रहा है. दरअसल चुप्पी के दोनों ही कारण हो सकते हैं.