Home Hindi Latest News 10-10 रूपए बचाकर टीकमगढ़ की महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, अब लाखों में है कमाई

10-10 रूपए बचाकर टीकमगढ़ की महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, अब लाखों में है कमाई

10-10 रूपए बचाकर टीकमगढ़ की महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, अब लाखों में है कमाई

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अनुज गौतम, सागर: कहते हैं, “जहां चाह, वहां राह होती है.” यह कहावत टीकमगढ़ जिले की उन महिलाओं पर सटीक बैठती है, जिन्होंने छोटे-छोटे कदमों से बड़ा सपना देखा और उसे साकार किया. 2016 में, कुछ महिलाओं ने 10-10 रुपये की बचत से रोजगार शुरू किया, और आज वे 1.5 से 2 लाख रुपये तक की कमाई कर रही हैं. इन महिलाओं की सफलता न केवल उनके जीवन को बदल रही है, बल्कि कई अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन रही है.

कैसे हुई शुरुआत?
यह कहानी टीकमगढ़ जिले के पृथ्वीपुर की है, जहां 2015 तक अधिकांश महिलाएं घर की चौखट के भीतर सीमित थीं. 2016 में उन्हें “आजीविका मिशन” के बारे में जानकारी मिली. करिश्मा विश्वकर्मा, सीता यादव, और उमा कुशवाहा ने मिलकर 10 महिलाओं का एक समूह बनाया और हर दिन 10-10 रुपये की बचत शुरू की. छह महीने तक यह बचत चलती रही, जिसके बाद उन्हें सरकार की योजना के तहत 20,000 रुपये का रिफंड मिला. इस पैसे से उन्होंने मिट्टी के खिलौने, बांस की लकड़ी के बर्तन, और अन्य घरेलू सामान बनाना शुरू किया.

कैसे बढ़ा रोजगार?
समूह की शुरुआती बचत और 20,000 रुपये के निवेश से छोटे स्तर पर शुरू किया गया यह काम धीरे-धीरे बढ़ता गया. जल्द ही इन महिलाओं को 50-50 हजार रुपये का लोन मिला, जिससे उन्होंने अपने व्यवसाय का विस्तार किया. उनका काम अब तेजी से फैलने लगा, और उनके उत्पादों की सप्लाई गांव और आसपास के इलाकों में होने लगी. इस आर्थिक मदद से उनकी आमदनी भी बढ़ी और वे आत्मनिर्भर बनने लगीं.

करिश्मा की बदलती जिंदगी
करिश्मा विश्वकर्मा बताती हैं कि पहले उनका परिवार मिट्टी के कच्चे मकान में रहता था, और खेती से ही साल भर का गुजारा होता था. लेकिन जब उन्होंने इस समूह से जुड़कर काम शुरू किया, तो उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. आज उनके पास पक्का मकान है, बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ते हैं, और वे हर महीने 15,000 रुपये तक की कमाई कर रही हैं.

सीता यादव और उमा कुशवाहा की सफलता
सीता यादव, जो 2018 में इस समूह से जुड़ीं, बताती हैं कि उन्होंने लोन लेकर भैंस खरीदी और दूध का व्यवसाय शुरू किया. आज वह हर महीने 18,000 से 20,000 रुपये तक कमा लेती हैं. उमा कुशवाहा का कहना है कि इस योजना ने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल दी. अब वे अपने दम पर खुद का खर्च चला रही हैं और अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठा रही हैं.

सफलता का विस्तार
इन महिलाओं ने अपनी मेहनत से न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारा, बल्कि वे सागर में आयोजित “एक जिला एक उत्पाद” कार्यक्रम में भी अपनी प्रदर्शनी लगाने पहुंची. यह कार्यक्रम उनके लिए एक बड़ा अवसर था, जहां उन्होंने अपने उत्पादों को बड़े स्तर पर प्रदर्शित किया.

Tags: Local18, Madhyapradesh news, Sagar news, Womens Success Story

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